बदलाव #HappyTeachersDay

Today is Teacher’s Day. We all have a special teacher in our life that we will always remember. Here is a story of a small boy whose life changed because of a good teacher.

जब वे स्कूल के अपने पहले दिन पांचवीं क्लास के सामने खड़ीं थीं, तब उन्होंने बच्चों से कहा कि वे सभी बच्चों को एक-समान प्यार करती हैं। यह तो मुमकिन नहीं था। सामने की पंक्ति में विशाल शर्मा अपनी सीट पर सिमटा हुआ बैठा था।

मती भास्कर ने ध्यान दिया कि वह बाकी बच्चों के साथ अच्छी तरह घुल-मिल नही पा रहा है और उसके कपड़े भी गंदे हैं।
श्रीमती भास्कर को हर बच्चे के पिछले रिकार्ड की समीक्षा करनी थी और उन्होंने विशाल की समीक्षा आखि़र में करने के लिए टाल दिया।

विशाल की पहली क्लास की टीचर की समीक्षा ने उन्हें अप्रत्याशित रूप से चौंका दिया। उसमें लिखा था कि ‘‘वह एक जि़ंदादिल और प्रतिभावान बच्चा है, और अपना काम करीने से करता है।’’

उसकी दूसरी क्लास की टीचर ने लिखा था कि ‘‘उसे क्लास के साथी बहुत पसंद करते हैं, पर वह अपनी मां की टर्मिनल बीमारी के कारण परेशान रहता है।’’

उसके तीसरी क्लास की टीचर ने लिखा था कि ‘‘उसकी मां की मृत्यु उसके लिए बहुत बोझिल रही। वह बेहतर प्रदर्शन की कोशिश करता है, लेकिन उसके पिता उसमें रुचि नहीं दिखाते हैं।’’

‘‘यदि कोई ठोस कदम न उठाया गया, तो ज़ल्द ही उसका घरेलू जीवन उसे प्रभावित करेगा।’’

चौथी क्लास की टीचर ने लिखा कि ‘‘वह बेरुख-सा रहता है और स्कूल में बहुत दिलचस्पी नहीं लेता है।’’

श्रीमती भास्कर को समस्या का आभास हो गया। उन्हें अपने-आप पर भी शर्म महसूस हुई। उन्हें तब और भी बुरा लगा जब उनके छात्रें ने चमकीले कागज़ में लिपटे दीवाली के उपहार दिए। परन्तु विशाल का उपहार मुड़े हुए भूरे कागज़ में लिपटा हुआ था। उसमें अमेरिकन डायमंड का ब्रेसलेट था, जिसके कुछ स्टोन गायब थे, और साथ में एक चौथाई भरी हुई इत्र की एक शीशी थी।

श्रीमती भास्कर ने विस्मित हो कहा कि कंगन बहुत सुंदर है और उन्होंने उसे पहन लिया। उन्होंने अपनी कलाई में इत्र की कुछ बुंदे लगा लीं।

विशाल ने कहा कि ‘‘आज आप मेरी मां के जैसे महक रही हैं।’’

जब वह बच्चा चला गया तब कम-से-कम एक या दो घंटे तक वे रोती रहीं। उस दिन के बाद, उन्होंने विशाल पर विशेष ध्यान देना शुरू कर दिया।

जितना ही अधिक वे उसे प्रोत्साहित करतीं, उतनी ही तेजी से उसका प्रतिउत्तर रहता।

साल के अंत तक वह क्लास के होशियार बच्चों में एक रहा और उनका पसंदीदा छात्र बन गया।

एक साल के बाद उन्हें अपने दरवाज़े के नीचे एक नोट मिला, जिसमें यह लिखा था कि ‘‘वे उसके जीवन में अब तक की सबसे अच्छी टीचर हैं।’’

छः साल बीत गए। विशाल ने अपना हाई स्कूल पूरा कर लिया और क्लास में तीसरे स्थान पर रहा। चार साल बाद उसने अपने पत्र में बताया कि वह जल्द ही अपने कॉलेज से अच्छे अंको से ग्रेजुएट हो जाएगा।

और, चाल साल बीत गए। एक और पत्र आया। इस बार उसने बताया कि बैचलर डीग्री के बाद उसने और आगे पढ़ने का मन बना लिया है। पत्र में हस्ताक्षर था, विशाल शर्मा, एम- डी-। अपने अगले पत्र में उसने बताया कि उसे अपने सपनों की जीवनसाथी मिल गई है।

कुछ साल पहले उसके पिता की मृत्यु हो गई थी। उसके बड़ी उम्मीद के साथ जानना चाहा कि क्या शादी में श्रीमती भास्कर ‘वर की मां’ के स्थान पर बैठना स्वीकार करेंगी। श्रीमती भास्कर तैयार हो गईं। उन्होंने वही कंगन पहना।

दोनों ने एक-दूसारे का आलिंगन किया और डॉ- शर्मा ने उनके कान में फुसफुसाया कर कहा, ‘‘मुझ पर विश्वास करने के लिए शुक्रिया’’।

श्रीमती भास्कर ने आंसू भरी आंखों के साथ कहा, ‘‘तुमने मुझे यह सिखाया कि मैं बदलाव ला सकती हूं। तुमसे मिलने के पहले मैं पढ़ाना नहीं जानती थी’’। 

The story has been written in English by Irfan Ahmad Noori . The Hindi translation is done by Dr Kawaljeet.

Watch the English narration of the story by the author himself.

 

Do you have a special teacher in your life? Do let us know in the comment section below.

And, don’t forget to wish your teacher a Happy Teacher’s Day 🙂